कहां मिलेगी,राह दिखाए तो कोई?
जिसे देखिये बंधक और बेचारा है।
सच की खातिर लडऩा किसे गवारा है?
गिरवी है हर कलम, शब्द अरू छन्दे बिके।
इसी लिए मुख बन्द और सब शीश झुके।।
किस ने निज जीवन में इसे उतारा है।।
रिश्ते-नाते बनते हैं बाजारों में।
सिमट गया संसार कनक दीवारों में।।
मुक्ति का नव मंत्र सुझाए तो कोई।
आजादी के अर्थ बताए तो कोई।।
- वीरेन्द्र सिंह चौहान